मुंबई की जेल को करना होगा नीरव मोदी के आने का इंतजार, भगोड़े कारोबारी के पास बचे हैं कई विकल्प

नीरव मोदी को मुंबई की आर्थर जेल रोड जेल में रखा जाएगा। हालांकि इस जेल की बैरक नंबर 12 को नीरव मोदी के आने का थोड़ा इंतजार करना होगा। फिलहाल वह अभी लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है।

भगोड़ा हीरा व्यवसायी नीरव मोदी बुधवार को ब्रिटेन की एक अदालत में भारत के खिलाफ बड़ी कानूनी लड़ाई हार गया। उसने भारत में अपने प्रत्यर्पण को रोकने की कोशिश करते हुए लंदन की अदालत का दरवाजा खटखटाया था लेकिन कोर्ट ने उसके केस को खारिज कर दिया। नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के संबंध में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहा है।

भारत में प्रत्यर्पण का रास्ता लगभग साफ                                                                                                                                              लंदन उच्च न्यायालय ने नीरव मोदी की मानसिक सेहत के आधार पर प्रर्त्यपण के खिलाफ अपील बुधवार को खारिज कर दी। न्यायालय ने व्यवस्था दी कि नीरव के आत्महत्या करने का जोखिम ऐसा नहीं है कि उसे धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोपों का सामना करने के लिए भारत प्रत्यर्पित करना अनुचित और दमनकारी होगा। लंदन उच्च न्यायालय में अपील हारने के बाद नीरव मोदी के भारत में प्रत्यर्पण का रास्ता लगभग साफ हो गया है। फैसले में यह भी माना गया है कि मुंबई की जिस आर्थर रोड जेल की बैरक 12 में प्रत्यर्पण के बाद हीरा कारोबारी को रखा जाना है उसमें सुरक्षा उपाय किए गए हैं जिससे सुनिश्चित होगा कि आत्महत्या की कोशिश के जोखिम को कम करने के लिए प्रभावी तरीके से सतत निगरानी हो।

अब आगे क्या होगा?                                                                                                                                                                          नीरव मोदी को मुंबई की आर्थर जेल रोड जेल में रखा जाएगा। हालांकि इस जेल की बैरक नंबर 12 को नीरव मोदी के आने का थोड़ा इंतजार करना होगा। फिलहाल वह अभी लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है। लंदन कोर्ट से झटका मिलने के बाद नीरव मोदी 14 दिनों के भीतर यूके के सर्वोच्च न्यायालय का रुख कर सकता है। हालांकि इसके लिए उसे उच्च न्यायालय की सहमत चाहिए होगी। अगर उच्च न्यायालय को लगेगा कि नीरव मोदी के मामले में आम सार्वजनिक महत्व का कानून शामिल है तो वह उसे सुप्रीम कोर्ट जाने की इजाजत दे सकता है।

इसके अलावा उसके पास एक और विकल्प मौजूद है। नीरव मोदी मानवाधिकार के यूरोपीय न्यायालय से संपर्क करने का विकल्प भी चुन सकता है। अंतत: ब्रिटेन की अदालतों में सारे विकल्पों के समाप्त होने के बाद हीरा कारोबारी अब भी ईसीएचआर के तथाकथित नियम 39 के तहत आदेश की मांग कर सकता है। इस तरह पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) कर्ज घोटाले के मामले में करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी करने तथा काले धन को सफेद बनाने के आरोपों का सामना करने के लिए और मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखने के लिए उसे भारत वापस लाने की प्रक्रिया में अभी थोड़ा समय लग सकता है। नीरव मोदी के वकीलों ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील की किसी तरह की योजना पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है।

कई देशों तक फैले हैं नीरव मोदी के संबंध                                                                                                                                            नीरव मोदी सीबीआई और ईडी द्वारा भारत में वांटेड है। वह 1 जनवरी, 2018 को भारत से भाग गया था और मार्च में उसे लंदन में गिरफ्तार किया गया। पीएनबी द्वारा धोखाधड़ी की पहली शिकायत दर्ज करने के बाद इंटरपोल ने 31 जनवरी को उसके और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था। नीरव मोदी को दिसंबर 2019 में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत भगोड़ा घोषित किया गया था। नीरव मोदी एक भारतीय नागरिक है, लेकिन उसकी पत्नी अमेरिकी है और उसका भाई निशाल के पास बेल्जियम का पासपोर्ट है। उसके चाचा और सह-आरोपी मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता ले ली है।

 

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Author: newtraffictail

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