छत्तीसगढ़ में “भूलन द मेज’ टैक्स फ्री:फिल्म देखने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने की घोषणा, बताया-छत्तीसगढ़ी सिनेमा का शुभ क्षण

छत्तीसगढ़ी भाषा की पहली राष्ट्रीय पुरस्कार विनर फिल्म “भूलन द मेज’ को टैक्स फ्री कर दिया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद यह फिल्म देखने के बाद यह घोषणा की। मुख्यमंत्री बुधवार शाम को मंत्रियों, विधायकों, कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ फिल्म देखने पहुंचे थे।

फिल्म देखकर निकले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, बहुत दिनों बाद इतनी शानदार फिल्म देखने को मिली है। यह छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जीवन पर आधारित है। इसमें छत्तीसगढ़ के लोगों की सरलता सहजता दिखाई गई है। एक-दूसरे को सहयोग करने की जो भावना फिल्म में दिखाई गई है वो छत्तीसगढ़ के लोगों की मूल भावना है। फिल्म का निर्देशन बहुत अच्छा है। फिल्मांकन भी बहुत अच्छा है। मैं सभी कलाकारों के अभिनय की प्रशंसा करता हूं और इस फिल्म को टैक्स फ्री करने की घोषणा करता हूं। मुख्यमंत्री इस मौके पर फिल्म के निर्देशक मनोज वर्मा से और लेखक संजीव बख्शी से भी मिले।

उन्होंने कहा कि भूलन कांदा के माध्यम से छत्तीसगढ़िया लोगों के मूल स्वभाव का सिनेमा में जिस तरह दिखाया गया है, वो काबिले तारीफ है। छत्तीसगढ़ की सुंदर संस्कृति का जो फिल्मांकन हुआ है वो बहुत अच्छा हुआ है। लोक गीतों को जो जगह दी गई है औऱ छत्तीसगढ़ के गांवों को जिस तरह सिनेमा में उकेरा गया है उससे पता चलता है कि हमारे गांव कितने सुंदर हैं। उनमें एक-दूसरे के प्रति सहयोग की कितनी भावना है। किस तरह से सामूहिक रूप से गांव में निर्णय होता है और लोग एक दूसरे के साथ हर परिस्थिति में खड़े रहते हैं।

फिल्म के कलाकारों से भी की बात

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फिल्म के कलाकारों से भी बात की। उन्होंने कहा, आप सभी लोगों ने छत्तीसगढ़ी संस्कृति को फिल्म के माध्यम से दिखाया है उससे हमारे प्रदेश की सुंदर संस्कृति को दुनिया भर में पहचान मिल रही है। छत्तीसगढ़ी सिनेमा के लिए यह काफी शुभ क्षण है। इस तरह का प्रयास भविष्य में और हो तथा छत्तीसगढ़ का सिनेमा अपनी विशिष्ट पहचान बनाए, इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने फिल्म नीति भी तैयार की है। इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ी सिनेमा तेजी से बड़ा स्वरूप लेगा और सिनेमा के माध्यम से कला को नई ऊंचाई मिलेगी।

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित है यह फिल्म

निर्देशक मनोज वर्मा की यह छत्तीसगढ़ी फिल्म प्रख्यात साहित्यकार संजीव बख्शी के उपन्यास “भूलन कांदा’ पर आधारित है। पिछले साल इस फिल्म ने क्षेत्रीय भाषा की श्रेणी में बेस्ट फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था। नई फिल्म नीति लागू होने के बाद सरकार ने इस फिल्म को एक करोड़ रुपए का अनुदान भी जारी किया है।

27 मई को 100 स्क्रीन पर रिलीज हुई

क्षेत्रीय भाषा और मुख्य धारा की फिल्म नहीं होने की बात कहकर शुरुआत में “भूलन द मेज’ को स्क्रीन नहीं मिल रही थी। राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने के बाद इसे देश भर में 100 स्क्रीन पर रिलीज किया गया है। “पीपली लाइव’ में “नत्था’ का अमर किरदार निभा चुके ओंकारदास मानिकपुरी इस फिल्म में लीड रोल में हैं।

यह फिल्म मौजूदा न्याय व्यवस्था की विडंबना पर केंद्रित है। यहां के जंगलों में उगने वाली एक कंद भूलन कांदा की तरह है। कहा जाता है कि भूलन कांदा पर पैर पड़ गया तो आदमी रास्ता भूल जाता है। वह आदमी सही रास्ता तब तक नहीं पाता जब तक उसे दूसरा व्यक्ति छूकर न जगा दे।

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Author: newtraffictail

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