MP में कोयले की वजह से लगेगा महंगाई का झटका:विदेशी कोयला 8 गुना महंगा, जानिए- इससे कितनी महंगी हो सकती है बिजली

विदेशी कोयले के यूज से बिजली और महंगी होगी। पावर प्लांट में 10% विदेशी कोयला मिलाने की परमिशन से उपभोक्ताओं की जेब कटना तय है। 8 गुना महंगे विदेशी कोयले के इस्तेमाल से प्रति यूनिट बिजली उत्पादन की लागत लगभग 75 पैसे तक बढ़ जाएगी। इसमें ट्रांसमिशन लॉस और वितरण कंपनियों का लॉस भी जोड़ लें तो घरों तक पहुंचने वाली बिजली का रेट 1 रुपए महंगा हो जाएगा।

प्रदेश की वितरण कंपनियों की ओर से मप्र नियामक आयोग में जो अनुमानित याचिका दायर की गई थी, उसमें पावर प्लांट्स में 100% देसी कोयला इस्तेमाल करने का जिक्र था। देसी कोयला दो से ढाई रुपए प्रति किलो की दर पर पड़ता है, जबकि विदेशी कोयला 16 रुपए प्रति किलो की दर से पड़ता है। कीमतों में 8 गुना अंतर होने का सीधा प्रभाव आम लोगों की जेब पर पड़ेगा। इसकी भरपाई वितरण कंपनियां बाद में ट्रू-अप याचिका के जरिए से करेंगी। यानी इसकी भरपाई बिजली की दर बढ़ाकर होगी।

पावर जनरेशन कंपनी ने विदेशी कोयला खरीदने को निकाला टेंडर
देश में कोल संकट के बीच और प्रदेश में रबी सीजन में डिमांड अधिक होने को लेकर पावर जनरेशन कंपनी ने विदेशी कोयला खरीदने का टेंडर निकाला है। कंपनी 10% परमिशन के आधार पर 19 लाख मीट्रिक टन विदेशी कोयला खरीद सकती है। पावर जनरेशन कंपनी के एमडी मनजीत सिंह के मुताबिक पहले चरण में 7.50 टन विदेशी कोयला खरीदने का टेंडर जारी हुआ है। 19 मई को टेंडर खुलेगा। ज्यादा जरूरत पड़ने पर दूसरा टेंडर निकालना पड़ेगा।

आयोग से परमिशन नहीं ली
आयोग द्वारा जारी किए गए टैरिफ आदेश में कोयले की कीमत पूर्णत: आंतरिक स्रोतों से प्राप्त कोयले की लागत के आधार पर मंजूर की है। इसी आधार पर 2022-23 के लिए उपभोक्ता टैरिफ निर्धारित किया है। इस 8 गुना तक महंगा कोयला खरीदने से उपभोक्ताओं की टैरिफ में भारी वृद्धि होगी। ऐसे में कोयला आयात के पूर्व आयोग की मंजूरी लेना जरूरी था, जो नहीं ली गई।

मप्र पावर मैनेजमेंट से भी परामर्श नहीं

बिजली मामलों के जानकार रिटायर इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल के मुताबिक नियम अनुसार मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी को 30% से अधिक महंगे कोयले से बिजली उत्पादन के पहले वितरण कंपनियों और होल्डिंग कंपनी मप्र पावर मेनेजमेंट कंपनी से परामर्श लेना जरूरी है, जो नहीं लिया गया है। कोयला आयात करने के टेंडर जारी कर दिए गए हैं। महंगा कोयला खरीदने के लिए वित्त की व्यवस्था के क्या प्रावधान हैं? इसका भी उल्लेख नहीं किया गया है।

20 हजार रुपए मीट्रिक टन होगी कीमत

राजेंद्र अग्रवाल के मुताबिक विदेशों से आने वाला कोयला न्यूनतम परिवहन समेत 15 हजार से 20 हजार रुपए मीट्रिक टन पड़ेगा। मौजूदा कोयले की दर 4000 से 6000 हजार रुपए मीट्रिक टन हो जाएगी। इससे प्रति यूनिट बिजली उत्पादन की लागत 75 पैसे से 1 रुपए तक बढ़ जाएगी। हालांकि, इसका बचाव प्रदेश के प्रमुख ऊर्जा सचिव संजय दुबे कर चुके हैं। पिछले दिनों मंथन कार्यक्रम में उन्होंने साफ कहा था कि अभी पूरे देश में कोल संकट है। बिजली की कमी है। या तो हम 12 रुपए प्रति यूनिट महंगी बिजली खरीद कर प्रदेश के लोगों को दें या फिर विदेशी कोयला खरीद कर 25-30 पैसे प्रति यूनिट का भार बढ़ाएं। इसमें बेहतर विकल्प विदेशी कोयले का था, तो उसे अपनाया जा रहा है।

तकनीकी दिक्कत भी आएगी

विदेशी कोयला मिलाने से तकनीकी दिक्कत भी आने की बात कही जा रही है। इसका कारण है कि प्रदेश के सरकारी बिजली घरों के बॉयलर की बनावट देश में उत्पादित कोयले के अनुसार है। देसी कोयले का ताप 3000 से 3500 किलो कैलोरी का है। जबकि, विदेशी कोयले का ताप 5000 से 5500 किलो कैलोरी है। देसी कोयले से 30 से 40% राख निकलती है, जबकि विदेशी कोयले से 10% के लगभग राख निकलती है। अधिक कैलोरी के ताप से बिजली बनाने वाले बॉयलर को कैसे नियंत्रित करेंगे, ये बड़ा सवाल होगा। लीकेज का खतरा बढ़ जाएगा।

महंगी बिजली पर ऊर्जा मंत्री बोले- पहले टेंडर हो जाए

विदेशी कोयला खरीदने पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि कोयला खरीद रहे हैं। उसके लिए टेंडर किए जा रहे हैं। 7.50 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदेंगे। हर राज्य को यह लेना है, क्योंकि कोयले की जरूरत है। बिजली के रेट बढ़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पहले व्यवस्थित टेंडर होकर उसके रेट स्वीकृत हो जाएं, फिर क्या असर होगा, इसे देखकर ही टिप्पणी कर पाएंगे।

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Author: newtraffictail

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