भारतीय रेलवे की ऐतिहासिक उपलब्धि, देश की सबसे लंबी रेल सुरंग का निर्माण पूरा

भारतीय रेल ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के तहत देव प्रयाग से जनासु के बीच 14.58 किलोमीटर लंबी दोहरी रेल सुरंग का निर्माण पूरा कर लिया है। यह सुरंग अब देश की सबसे लंबी रेल सुरंग बन गई है। इस परियोजना के अंतर्गत कार्यरत निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) ने सुरंग निर्माण के क्षेत्र में एक नया विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया है। एलएनटी लिमिटेड के निदेशक एस. वी .देसाई ने मंगलवार को बताया कि कंपनी की टीम ने ‘शिव’ नामक सिग्नल-शील्ड हार्ड रॉक टनल बोरिंग मशीन (TBM) का उपयोग करते हुए केवल 31 दिनों में 790 मी सुरंग खोदकर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है। देसाई ने कहां कि यह रिकॉर्ड सुरंग निर्माण में टीबीएम तकनीक के इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि है।

ऋषिकेश कांड प्रयाग रेल संपर्क परियोजना के तहत तैयार की जा रही एक सुरंग का काम 19 जून को पूरा करने के साथ ही निर्माण कंपनी लॉसन एंड टुब्रो ने सुरंग निर्माण में सिंगल-शील्ड हार्ड रॉक टनल बोरिंग मशीन के उपयोग का नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया है।

यह 13.09 कि लंबी सुरंग डाउनलाइन है।जो 14.57 किलोमीटर लंबी अपलाइन सुरंग से समानांतर और 25 मीटर की दूरी पर है। अपलाइन सुरंग की खुदाई का काम इसी साल 16 अप्रैल 2025 को पूरा कर लिया गया था। देवप्रयाग और जनासु के बीच यह दोहरी सुरंगे देश की सबसे लंबी परिवहन सुरंग है और उत्तराखंड में महत्वाकांक्षी 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश कर्ण-प्रयाग रेल संपर्क परियोजना का हिस्सा है।
इस मार्ग को दिसंबर 2026 में शुरू किया जाना है। कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि दोनों सुरंग की कुल लंबाई 30 किलोमीटर है। सुरंग बनाने में 70% कार्य टीबीएम के माध्यम से किया गया शेष 30% खुदाई और ब्लास्ट के माध्यम से पूरा किया गया।
अरोड़ा ने कहां ‘शक्ति’ नाम की पहली टीबीएम ने 16 अप्रैल को निर्धारित समय से 12 दिन पहले अपलाइन सुरंग का 10.47 किलोमीटर का काम पूरा कर लिया था। जबकि दूसरी टीबीएम ‘शिव’ ने निर्धारित समय से एक दिन पहले 29 जून को डाउनलाइन सुरंग का 10.29 किलोमीटर निर्माण पूरा कर लिया।
यह परियोजना उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में यातायात की सुगमता और चार धाम यात्रा को रेल मार्ग से जोड़ने के उद्देश्य से तैयार की जा रही है कल 125 किलोमीटर लंबी इस परियोजना में कई सुरंगे और पल शामिल है परियोजना के पूरे होने पर ऋषिकेश से कर्ण-प्रयाग के बीच यात्रा समय में भारी कमी आएगी।

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