नई दिल्ली. पाकिस्तान वर्तमान में खाने से लेकर अर्थव्यवस्था और आतंकवाद तक हर तरह के संकट से त्रस्त है. 12 जनवरी को पूरे देश में अत्यधिक खाद्य संकट के कारण एक व्यक्ति के रोने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. वीडियो में शख्स रोता हुआ नजर आ रहा है और गेहूं व आटे की कमी के लिए देश के प्रशासन को कोस रहा है. उनका कहना है कि पाकिस्तान जिस संकट से अभी गुजर रहा है वह राज्य निर्मित है न कि प्राकृतिक. पाकिस्तान में सोशल मीडिया नागरिकों के दर्द और गुस्से को दिखाने वाले वीडियो से भरा पड़ा है. वे अपने बदहाल जीवन के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
पाकिस्तान के आर्थिक संकट को देखते हुए प्रतिबंधित गुटों ने अपना दबदबा बढ़ा लिया है. तहरीक-ए-तालिबान, इस्लामिक स्टेट और गुल बहादुर ग्रुप जैसे आतंकी समूह अपनी मर्जी से आतंक फैला रहे हैं. देश के नागरिक आतंकी हमलों में इजाफे के साथ जी रहे हैं और इसके कारण पाकिस्तान के दक्षिण वजीरिस्तान जिले में हजारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया है. जहां राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं, व्यापारियों और युवाओं ने विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया और शांति के नारे लगाए.
पश्तूनों ने किया क्षेत्र के तालिबानीकरण का विरोध
टीटीपी द्वारा रावलपिंडी के धमियाल में एक सरकारी ठेकेदार से फिरौती मांगने की भी खबरें आई हैं और जब उन्होंने 1.5 करोड़ रुपये देने से मना किया तो उनके घर पर हमला कर दिया गया. दक्षिण वज़ीरिस्तान के पश्तून हाल ही में वाना में बड़ी संख्या में बाहर आए और उन्होंने अपने क्षेत्रों के तालिबानीकरण का विरोध किया. उत्तरी वजीरिस्तान के सांसद मोहसिन डावर ने एक ट्वीट में कहा, ‘हमारे लोगों ने क्षेत्र में थोपे जा रहे युद्ध और बलि के बकरे के रूप में खुद के इस्तेमाल होने से इनकार कर दिया है.’ खामा प्रेस ने बताया कि 2022 के आंकड़े बेहद गंभीर हैं और टीटीपी के हमले में उस साल 1,000 लोग मारे गए और घायल हुए.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का पतन
पाकिस्तान विदेशी मुद्रा संकट की चपेट में है. 2022 में यह हाल था और ऐसा लगता है कि 2023 उससे ज्यादा अलग नहीं होगा. द डॉन ने बताया कि 6 जनवरी को स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार 4.343 बिलियन डॉलर तक गिर गया, जो देश द्वारा संयुक्त अरब अमीरात स्थित दो बैंकों को 1 बिलियन डॉलर के वाणिज्यिक ऋण चुकाने के बाद केवल तीन सप्ताह के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है. पाकिस्तान आयात गतिविधियों को फंड देने में असमर्थ रहा है, आवश्यक खाद्य पदार्थों के कंटेनर, कच्चे माल और चिकित्सा उपकरण कराची बंदरगाह पर रखे हुए हैं क्योंकि बैंकों ने आयातकों के लिए नए क्रेडिट लेटर जारी करने से इनकार कर दिया है.
एक ही दिन में 1,200 रुपये बढ़ी आटे की कीमत
देश की जनता आटे के संकट से तबाह है. खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और सिंध में अनाज और आटे के लिए भगदड़ की सूचना आए दिन मिलती रहती है. पीओके कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने कहा कि लोग सड़कों पर हैं क्योंकि उनके पास न खाना है, न आटा. उन्होंने यह भी कहा कि पीओके में गेहूं की कीमत एक ही दिन में 1,200 रुपये बढ़ गई है.
सरकार के खिलाफ हिंसक कदम उठाने की चेतावनी
लोग इतने हताश हो गए हैं कि वे भारी बर्फबारी और कड़ाके की ठंड का सामना करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रोफेसर सज्जाद राजा ने ट्विटर पर लिखा, ‘लोग पीओके की नीलम घाटी में कड़ाके की ठंड में आटे की आपूर्ति की मांग कर रहे हैं. पाकिस्तान ने पीओके के लिए सभी खाद्य पदार्थों पर से सब्सिडी हटा दी है और लोग आटा नहीं खरीद पा रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे पाकिस्तान सरकार के खिलाफ हिंसक कदम उठाएंगे.’
पाकिस्तानी सेना के खिलाफ गुस्सा
गिलगित-बाल्टिस्तान में भी पाकिस्तानी सेना द्वारा जमीन हड़पने के आरोपों को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए हैं. लोग कह रहे हैं कि 1974 में पारित कानून से पाकिस्तान के हर नागरिक को गिलगित-बाल्टिस्तान में जमीन खरीदने की छूट मिल रही है और यह बात उनलोगों को परेशान कर रही है. लोगों का आरोप है कि उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया गया है और सेना भी उन पर अत्याचार कर रही है. पाकिस्तान की सेना जहां लंबे समय से जमीनों पर कब्जा करती आ रही है, वहीं पहली बार इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं.
वहां के नागरिकों ने आईएसआई और सेना पर लंबे समय से स्थानीय लोगों की जमीन हड़पने का आरोप लगाया है. इस बार निवासियों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे हार नहीं मानेंगे और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगे. बढ़ती बेरोजगारी, उच्च मुद्रास्फीति और अवैध कराधान के कारण पाकिस्तान विरोधी भावना में भारी वृद्धि हुई है.