चुनाव आयोग ने घरेलू प्रवासी मतदाताओं के लिए दूरस्थ ईवीएम का प्रोटोटाइप तैयार किया है, यह सिंगल रिमोट पोलिंग बूथ से 72 निर्वाचन क्षेत्रों में दूरस्थ मतदान को नियंत्रित कर सकता है.
कई बार चुनाव के वक्त घर से दूर रहने वाले मतदाता अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. दूसरे राज्यों में रहने वाले लोग जहां हैं वहीं से वोटिंग कर सकें, इसके लिए चुनाव आयोग ने नया प्रोटोटाइप तैयार किया है. जिसका मकसद होगा घर से दूर रहने वाले प्रवासी को बिना गृह राज्य बुलाए मतदान करवाना.
दरअसल चुनाव आयोग रिमोट वोटिंग सिस्टम शुरू करने जा रही है. जिससे घर से दूर रहने वाले लोग भी वोट डाल सकेंगे. चुनाव आयोग ने घरेलू प्रवासी मतदाताओं के लिए दूरस्थ ईवीएम का प्रोटोटाइप तैयार किया है, यह सिंगल रिमोट पोलिंग बूथ से 72 निर्वाचन क्षेत्रों में दूरस्थ मतदान को नियंत्रित कर सकता है. इस सिस्टम की जानकारी सभी अन्य राजनीतिक दलों को देने के लिए चुनाव आयोग ने 16 जनवरी को इसका लाइव डेमो रखा गया है.
हालांकि विपक्ष ने रिमोट वोटिंग के नए इस फॉर्मूले से एतराज जताया है. उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया है. विपक्ष का कहना है कि यह फॉर्मूला सत्तारूढ़ पार्टी को सियासी फायदा पहुंचाने के लिए लाया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये रिमोट वोटिंग सिस्टम है क्या और विपक्ष इसका विरोध क्यों कर रहे हैं.
क्या है रिमोट वोटिंग प्रोसेस?
यह एक तरीका है जिसकी मदद से किसी अन्य राज्य में रह रहे प्रवासी बिना घर आए वोट दे पाएंगे. आसान भाषा में समझे तो मान लीजिए कोई व्यक्ति झारखंड में रह रहा है. लेकिन वह निवासी है बिहार का. ऐसे में अब तक अगर उस व्यक्ति को वोट देना है तो उसे बिहार आना पड़ेगा. लेकिन रिमोट वोटिंग प्रोसेस के तहत ऐसी व्यवस्था लाए जाने की तैयारी की जा रही है जिसमें मतदाता दूसरे राज्य में रहकर भी वोट दे पाएंगे. इस सुविधा के लिए दूरस्थ मतदाता को चुनाव से पहले गृह निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर के पास ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन कर पूर्व-पंजीकरण कराना होगा. रजिस्ट्रेशन के बाद दूसरे राज्य में रहने वाले मतदाता के वर्तमान निवास के स्थान पर पोलिंग बूथ स्थापित किया जाएगा.
यह मतदान ईवीएम की तरह ही एक मशीन से होगा. चुनाव आयोग के मुताबिक, ईवीएम की तरह आरवीएम भी इंटरनेट से कनेक्ट नहीं होगा. दूरस्थ स्थान में आरओ एक लैपटॉप का उपयोग करके उम्मीदवारों के प्रतीकों को यूनिट में लोड करेगा.
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के अनुसार रिमोट वोटिंग का यह फॉर्मूला उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा जो वोट डालने के लिए बहुत दूर यात्रा नहीं करना चाहते. उन्होंने कहा कि यह मशीन एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगी, जिससे एक पोलिंग बूथ से कम से कम 72 निर्वाचन क्षेत्रों को कवर किया जा सकेगा.
रिमोट वोटिंग से क्या होगा फायदा
रिमोट वोटिंग लाए जाने के बाद घरेलू प्रवासियों द्वारा मतदान में असमर्थता वोटिंग प्रतिशत में सुधार आ सकता है. दरअसल चुनाव आयोग देश में लगभग 30 करोड़ से ज्यादा मतदाता के मताधिकार का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर चिंतित है. चुनाव के वक्त वोटर नौकरी से लेकर तमाम वजहों के कारण मतदाता मतदान करने के लिए अपने घरेलू मतदान केंद्र पर नहीं लौट पाते हैं. घरेलू प्रवासियों का वोटिंग करने में असमर्थ होना चिंता का विषय है.
16 जनवरी को दिखाया जाएगा रिमोट वोटिंग का शुरुआती मॉडल
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार 16 जनवरी को चुनाव आयोग ने घरेलू प्रवासी मतदाताओं के लिए रिमोट का डेमो मॉडल दिखाने के लिए सभी दलों को आमंत्रित किया है. वहीं इसे लागू करने के लिए अन्य राजनीतिक दलों के विचार भी मांगे गए हैं.
विपक्ष का क्या है कहना
- चुनावी प्रणाली को लेकर कांग्रेस, डीएमके और टीएमसी ने विरोध जताते हुए इसे विश्वास बहाल करने की मांग की है. इसके अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सहित कई पार्टियों का कहना है कि वह इस मुद्दे का विस्तार से जांच करेंगे उसके बाद ही कोई रुख अपनाएंगे.
- समाजवादी पार्टी का कहना है कि पोल पैनल को इस प्रणाली से पहले ईवीएम के दुरुपयोग के बारे में विपक्ष के सवालों का जवाब देना होगा.
- डीएमके के राज्यसभा सांसद पी विल्सन ने कहा, ‘चुनाव आयोग के पास इस तरह का प्रोटोटाइप लागू करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि इस प्रोटोटाइप को लागू करने के लिए पहले मौजूदा कानून में संशोधन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि नए तरीके से फर्जी मतदान हो सकता है जिससे सबसे ज्यादा खतरा निष्पक्ष वोटिंग की प्रक्रिया पर असर पड़ने का है.
- राज्यसभा सांसद पी विल्सन ने कहा, अगर बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए हम तमिलनाडु में रह रहे मतदाताओं को वहां से वोट करने की इजाजत देते हैं तो बिहार के क्षेत्रीय दल इसे कैसे सही ठहरा पाएंगे.
- तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर ने रिमोट वोटिंग को लेकर ट्वीट करते हुए लिखा, ‘वीवीपैट सिस्टम पारदर्शी साबित नहीं हो पाया. इसे जबरदस्ती थोपा गया और जिस उद्देश्य से लागू किया गया तो विफल हो गया. अब प्रवासियों को उनके वर्तमान स्थान से मतदान करने के लिए नया तरीका अपनाया जा रहा है. कोई भी तर्क इस बात का समर्थन नहीं कर सकता.’