Chhattisgarh News: बस्तर जिले के डिमरापाल मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुरूप साहू ने बताया कि निमोनिया एक या दो फेफड़ों में संक्रमण का एक प्रकार है.
Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड के मौसम के साथ की निमोनिया का खतरा भी बढ़ गया है . मौसम में बन रहे उतार-चढ़ाव के साथ ही इन दिनों बड़ी संख्या में मरीज मौसमी बीमारी के चपेट में आकर ईलाज के लिए सरकारी अस्पतालो के साथ-साथ निजी क्लीनिको में भी इलाज के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे है. वहीं इन मरीजों की संख्या को देखते हुए निमोनिया का खतरा भी बना हुआ है. खासकर छोटे बच्चों में निमोनिया के लक्षण देखे जा रहे हैं और हर रोज निमोनिया के 3 से 4 मरीज मिल रहे हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग भी इससे बचाव के लिए सावधानी बरतने की सख्त हिदायत दे रही है.दरअसल निमोनिया एक गंभीर बीमारी है जो हर उम्र के लोगों को हो सकती है. लेकिन यह सबसे ज्यादा 5 साल तक के बच्चों में पाई जाती है. 5 साल के कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने और दूध पीने में भी दिक्कत होती है .और बच्चे सुस्त हो जाते है. ऐसे में बस्तर जिला प्रशासन निमोनिया के प्रति लोगों को जागरूक करने में जुटी हुई है. पिछले सप्ताह भर में ही बस्तर सँभाग में कई निमोनिया से ग्रसित मरीजो कि मिलने की पुष्टि हुई है.. और ऐसे में निमोनिया से बचाव के लिए जागरूकता ही सबसे बड़ा इलाज है. निमोनिया के लक्षण दिखने पर डॉक्टरो ने भी जल्द से जल्द अस्पताल पहुंच ईलाज कराने की सलाह दी है.
निमोनिया के लक्षण
बस्तर जिले के डिमरापाल मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुरूप साहू ने बताया कि निमोनिया एक या दो फेफड़ों में संक्रमण का एक प्रकार है .और निमोनिया होने पर फेफड़ों में हवा की थैलियों में संक्रमण या बलगम भर जाता है. निमोनिया सबसे पहले फेफड़े के हिस्से को सख्त कर देता है .उसमें शुद्ध हवा का आवागमन बाधित हो जाता है .और यह गंभीर हो जाए तो निमोनिया घातक भी हो सकता है .सर्दी के मौसम में निमोनिया का प्रभाव बच्चों पर ज्यादा होता है. बच्चों की सामान्य सर्दी खांसी का उचित इलाज ना करना ही आगे चलकर निमोनिया का रूप धारण कर लेता है.
डॉक्टर अनुरूप साहू ने बताया कि सांस तेज लेना .कफ की आवाज आना और अन्य लक्षण भी निमोनिया के संकेत हो सकते हैं. निमोनिया के आम लक्षणों में खासी. सीने में दर्द. बुखार और सांस लेने में मुश्किल आदि होती हैं. उल्टी होना .पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना. कपकपी .शरीर में दर्द मांसपेशियों में भी दर्द निमोनिया के लक्षण हैं.
निमोनिया से बचाव
हालांकि डॉक्टर ने इससे बचाव के लिए बच्चों को टीकाकरण कराये जाने की सख्त सलाह दी है. बच्चों को न्यूमोकोकल कांजुगेट वैक्सीन यानी PCV का टीका 6 सप्ताह. 14 सप्ताह और 9 वें महीने पर लगाने होते हैं. PCV का टीका बच्चों को निमोनिया से बचाने में काफी असरदार होता है. वही बड़े बुजुर्गों के लिए भी निमोनिया से बचाव के लिए खानपान का खास ध्यान रखना. ठंड से शरीर को बचाना और इसके अलावा समय पर निमोनिया का इलाज कराना ही इससे बचाव का मुख्य उपाय है.