ईरान में दो महीने से हिजाब विरोधी प्रदर्शन जारी हैं। इसी बीच पुलिस ने दो मशहूर ऐक्ट्रेसेस को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों ईरान में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के समर्थन में थीं। हेंगामेह गजियानी और कातायुन रियाही को सरकार के खिलाफ जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
एजेंसी के मुताबिक, दोनों ऐक्ट्रेसेस ने हिजाब विरोध के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किए थे। इसके एक दिन बाद ही उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। ये प्रदर्शन 16 सितंबर को 22 साल की युवती महसा अमिनी की मौत के बाद शुरू हुए थे। पुलिस ने महसा को हिजाब नहीं पहनने के लिए गिरफ्तार किया था। कस्टडी में उसकी जान चली गई थी।
हेंगामेह गजियानी ने बिना हिजाब के वीडियो पोस्ट किया था
52 साल की हेंगामेह गजियानी ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने हिजाब नहीं पहना था। इस वीडियो के साथ उन्होंने लिखा- था- ये शायद मेरा आखिरी वीडियो है। मैं सिर्फ ये कहना चाहती हूं कि इस पल के बाद मेरे साथ जो भी हो, मैं आखिरी सांस तक ईरान के लोगों के साथ और उनके समर्थन में हूं।
सरकार को हत्या का आरोपी भी बताया था
पिछले हफ्ते हेंगामेह गजियानी ने एक अन्य पोस्ट में सरकार को चाइल्ड-किलर कहते हुए 50 युवाओं की हत्या का आरोप लगाया था। कुछ एक्टिविस्ट्स का कहना है कि विरोध प्रदर्शन में अब तक 400 लोगों की मौत हो गई है। इसमें कई यंगस्टर्स भी शामिल हैं। करीब 16,800 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
विरोध करने वाली पहली एक्ट्रेस भी गिरफ्तार
60 साल की कातायुन रियाही पहली ऐसी एक्ट्रेस हैं, जो महसा अमिनी की मौत के बाद बिना हिजाब पब्लिक के बीच दिखीं। उन्हें कई अवॉर्ड मिले हैं। उन्होंने हिजाब के मैंडेटरी किए जाने के विरोध में सोशल मीडिया पर पोस्ट किए थे। सितंबर में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद से अब तक कई ऐक्ट्रेसेस को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसमें मित्र हज्जर, बरन कोसरी और तारानेह अलीदूस्ती की गिरफ्तारी शामिल है।
हिजाब की वजह से क्यों मारी जाएं महिलाएं
प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं की मांग है कि हिजाब को अनिवार्य की जगह वैकल्पिक किया जाए। उनका कहना है कि हिजाब की वजह से वे क्यों मारी जाएं।
अब तख्तापलट की आशंका बढ़ी
तख्तापलट की अशंका तेज हो गई है। ऐसे में ईरानी सेना रेवल्युशनरी गार्ड्स के टॉप कमांडरों ने अपने परिवारों को कैंट के इलाकों से सेफ हाउस में भेज दिया है। तेहरान में एक ऑयल कंपनी के गेस्ट हाउस में इन परिवारों को चौबीसों घंटे सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। सूत्रों के अनुसार इन परिवारों को भरोसा दिया गया है कि प्रदर्शन जारी रहते हैं अथवा तख्तापलट होता है तो इन्हें सुरक्षित रूप से पड़ोसी देश जॉर्जिया भेज दिया जाएगा।
हिजाब पहनने की अनिवार्यता 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद लागू हुई
ईरान में वैसे तो हिजाब को 1979 में मेंडेटरी किया गया था, लेकिन 15 अगस्त को प्रेसिडेंट इब्राहिम रईसी ने एक ऑर्डर पर साइन किए और इसे ड्रेस कोड के तौर पर सख्ती से लागू करने को कहा गया। 1979 से पहले शाह पहलवी के शासन में महिलाओं के कपड़ों के मामले में ईरान काफी आजाद ख्याल था।
- 8 जनवरी 1936 को रजा शाह ने कश्फ-ए-हिजाब लागू किया। यानी अगर कोई महिला हिजाब पहनेगी तो पुलिस उसे उतार देगी।
- 1941 में शाह रजा के बेटे मोहम्मद रजा ने शासन संभाला और कश्फ-ए-हिजाब पर रोक लगा दी। उन्होंने महिलाओं को अपनी पसंद की ड्रेस पहनने की अनुमति दी।
- 1963 में मोहम्मद रजा शाह ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया और संसद के लिए महिलाएं भी चुनी जानें लगीं।
- 1967 में ईरान के पर्सनल लॉ में भी सुधार किया गया जिसमें महिलाओं को बराबरी के हक मिले।
- लड़कियों की शादी की उम्र 13 से बढ़ाकर 18 साल कर दी गई। साथ ही अबॉर्शन को कानूनी अधिकार बनाया गया।
- पढ़ाई में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया। 1970 के दशक तक ईरान की यूनिवर्सिटी में लड़कियों की हिस्सेदारी 30% थी।
1979 में शाह रजा पहलवी को देश छोड़कर जाना पड़ा और ईरान इस्लामिक रिपब्लिक हो गया। शियाओं के धार्मिक नेता आयोतोल्लाह रुहोल्लाह खोमेनी को ईरान का सुप्रीम लीडर बना दिया गया। यहीं से ईरान दुनिया में शिया इस्लाम का गढ़ बन गया। खोमेनी ने महिलाओं के अधिकार काफी कम कर दिए।