दरअसल, एमएमएसएस में पूरे महाराष्ट्र के मछुआरों से लेकर शिक्षकों तक, सभी वर्गों के मुसलमानों के बीच काम करने वाले 180 संगठन शामिल हैं। इस संगठन की खास बात यह है कि यह एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की तरह मुसलमानों के हक की बात नहीं करता। यह संगठन हमेशा से मराठा को अपनी आत्मा कहता आया है। अब संगठन के साथ से उद्धव को फायदा मिलेगा या नहीं, यह आने वाले बीएमसी चुनाव तय करेंगे।
पिछले शुक्रवार को, महाराष्ट्र के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले संघ के 22 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और उन्हें राज्य में आगामी नगरपालिका चुनावों में समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने उससे यह भी कहा कि “महाराष्ट्रियों के रूप में, हम भी आपके साथ विश्वासघात करने के तरीके से आहत हैं। हमें मिलकर इन देशद्रोहियों को सबक सिखाना चाहिए।”
मराठा पहचान पर जोर
एमएमएसएस ने हमेशा अपनी मराठी पहचान पर जोर दिया है और खुद को उर्दू भाषी उत्तर भारतीय मुस्लिम ब्लॉक से दूर किया है, जो दशकों से महाराष्ट्र में मुस्लिम राजनीति पर हावी है। ठाकुर का कहना है कि ठाकरे के साथ उनकी मुलाकात के समाचार बनने के बाद गैर-मराठी मुसलमानों ने भी उन्हें इस पहल का स्वागत करने के लिए फोन करना शुरू कर दिया है।
ठाकुर ने कहा, “यह उद्धव ठाकरे के व्यक्तित्व के कारण है।” “मुसलमान उनमें न केवल किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो भाजपा से अलग हो गया और शक्तिशाली सत्ताधारी दल को अपना लिया, बल्कि एक वास्तविक व्यक्ति के रूप में भी देखा, जिसका मुसलमानों के प्रति दृष्टिकोण खुला और स्वागत करने वाला है।”
2014 में भाजपा का भी दिया साथ
दिलचस्प बात यह है कि 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को समर्थन देने के बाद एमएमएसएस शिवसेना में आई है। ठाकुर ने कहा, “उस समय, हमने नरेंद्र मोदी के ‘सब का साथ, सबका विकास’ को आजमाने का फैसला किया।” “हम कांग्रेस और राकांपा के झूठे वादों और निष्क्रियता से थक चुके थे।” 2014 में भाजपा ने सरकार बनाई थी और सत्ता हासिल की। ठाकुर कहते हैं कि महाराष्ट्र भाजपा ने उस समय एमएमएसएस की अतिक्रमित वक्फ भूमि की वसूली की मांग को स्वीकार कर लिया था और तत्कालीन राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने उस पर कार्रवाई शुरू कर दी थी। उन्होंने मौलाना आजाद वित्तीय निगम के तहत मुस्लिम छात्रों के लिए छात्रवृत्ति में भी वृद्धि की थी। हालांकि, 2016 में इस्तीफा देने के बाद, तब सीएम देवेंद्र फडणवीस ने हमारी अनदेखी की।