गुरुवार को परिवहन मंत्री और शिवसेना नेता अनिल परब के आधिकारिक आवास, निजी घर और मुंबई, पुणे और रत्नागिरी जिलों में 7 संपत्तियों पर प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने 14 घंटे तक छापेमारी की। ED ने उनके घर से कई दस्तावेज और बैंक अकाउंट से जुड़े कागजात को जब्त किया है। जांच में सामने आया है कि अनिल परब की प्रॉपर्टी 8 साल में 4 गुना, जबकि उनकी पत्नी की संपत्ति 25 गुना बढ़ी है।
गुरुवार को ED की यह रेड सुबह 6.30 बजे शुरू हुई थी और रात 8.30 बजे तक चली है। इस दौरान ईडी अधिकारियों ने परब से गहन पूछताछ भी की है। परब महाराष्ट्र सरकार के ऐसे चौथे मंत्री है, जिन पर प्रवर्तन निदेशालय ने शिकंजा कसने का प्रयास किया है।
ऐसे बढ़ी परब दंपती की दौलत
2010 में अनिल परब की चल-अचल संपत्ति 4 करोड़ 82 लाख 81 हजार 125 रुपये थी, यह साल 2018 में बढ़कर 17 करोड़ 58 लाख 70 हजार 559 तक पहुंच गई। वहीं, उनकी पत्नी सुनीता के पास 2010 में 9 लाख रुपये थी, जो 2018 में बढ़कर 2 करोड़ 37 लाख 35 हजार 102 रुपये पहुंच गई।
परब के पास चार कंपनियों का स्वामित्व
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, अनिल परब और सुनीता परब 3-3 कंपनियों में डायरेक्टर हैं। इन कंपनियों में दत्तात्रेय कंसल्टिंग एंड मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड, दत्तात्रेय एग्री फॉर्म प्राइवेट लिमिटेड, दत्तात्रेय डेवलपर्स और रिएलिटी प्राइवेट लिमिटेड और हैथवे दत्तात्रेय केबल नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड। इनमें से अनिल, हैथवे नाम की कंपनी में एकमात्र निदेशक हैं और सुनीता फ्यूल सॉल्यूशन में मैनजिंग डायरेक्टर हैं। इनकी एक कंपनी दत्तात्रेय डेवलपर्स फिलहाल बंद है।
जांच में सामने आया है कि अनिल परब की दत्तात्रेय कंसल्टिंग, दत्तात्रेय एग्री की कुल पूंजी 1 लाख रुपये से भी कम है। ED को शक है कि यह एक शेल कंपनी है और इसका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया है।
ED ने दर्ज किया नया केस
ताजा जानकारी के मुताबिक, ED ने रत्नागिरी जिले के दापोली में एक रिसॉर्ट की कथित बिक्री और खरीद के संबंध में PMLA अधिनियम के तहत एक नया केस दर्ज किया है। हालांकि, मंत्री अनिल परब की ओर से दावा किया है कि रिसॉर्ट के गंदे पानी को समुद्र में छोड़ने के झूठे आरोप के बाद यह जांच की गई है। मैंने सभी सवालों के जवाब और जरूरी दस्तावेज अधिकारियों को दे दिए हैं। अनिल परब ने कहा, हम सही समय पर इसके पीछे की राजनीतिक पृष्ठभूमि का खुलासा करेंगे। इसी मामले में ईडी ने पुणे में परब के करीबी लोगों की संपत्तियों पर भी छापेमारी की है।
महाराष्ट्र के चौथे मंत्री, जिन पर ED का शिकंजा
अनिल परब महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार के ऐसी चौथे मंत्री हैं, जिनके खिलाफ ED ने इस तरह की कार्रवाई की है। इससे पहले ईडी ने एनसीपी नेताओं और मंत्रियों अनिल देशमुख, नवाब मलिक और प्राजक्ता तानपुरे के खिलाफ भी कार्रवाई की थी। गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख को 3 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया। जबकि, अल्पसंख्यक मंत्री और एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक को 23 फरवरी 2022 को गिरफ्तार किया गया।
क्या BMC चुनावों को देखते हुए हुई कार्रवाई?
साल 2000 से बीएमसी में शिवसेना सत्ता पर काबिज है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इसके पीछे अनिल परब का ही हाथ है। उन्हें मुंबई में शिवसेना का सुपर ब्रेन कहा जाता है। वे इस बात में माहिर हैं कि कैसे समीकरण बैठाकर शिवसेना को बीएमसी चुनावों में जीत दिलाई जा सकती है। महाराष्ट्र में नगर निगम चुनाव अगस्त-सितंबर में हो सकते हैं।
शिवसेना को हो सकता है बड़ा नुकसान!
ED अगर परब पर शिकंजा कसती है तो शिवसेना को बड़ा नुकसान हो सकता है। पेशे से वकील परब शिवसेना का कानूनी पक्ष देखते हैं। 9 नगर निगम के आगामी चुनावों का जिम्मा भी परब के कंधों पर है। परब संसदीय कार्य मंत्री भी हैं। राज्यसभा की 6 और विधान परिषद की 10 सीटों के लिए अगले हफ्ते चुनाव हो रहे हैं। इन सीटों का चयन विधान सभा के सदस्यों में से किया जाएगा।
ऐसे अंजाम दी गई ED की कार्रवाई
गुरुवार सुबह साढ़े छह बजे सीआरपीए के जवानों के साथ ईडी की एक टीम परब के मुंबई स्थित घर पहुंची और इस कार्रवाई को अंजाम दिया। छापेमारी का नेतृत्व ED के सहायक निदेशक तसीन सुल्तान ने किया। ईडी के अधिकारी जब घर आए तो परब बांद्रा स्थित अपने घर पर थे। दूसरा दस्ता परब के मंत्रालय के सामने सरकारी आवास ‘अजिंक्यतारा’ पहुंचा। ईडी की कार्रवाई का शिवसैनिकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध किया। ईडी की छापेमारी रात आठ बजे तक जारी रही। ईडी ने यह खुलासा नहीं किया कि छापेमारी में क्या मिला।