युद्ध के समय बमुश्किल बची जान:आज IPL में धमाल मचा रहे राशिद खान; मां डॉक्टर बनाना चाहती थी, बन गए क्रिकेटर

राशिद खान का नाम अब किसी पहचान का मोहताज नहीं है। कभी जान बचाने के लिए पिता के साथ अफगानिस्तान से पाकिस्तान भागने वाले राशिद आज करोड़ों लोगों के रोल मॉडल हैं। इस चैंपियन खिलाड़ी ने IPL के जरिए दुनियाभर में लोकप्रियता हासिल की है।

2017 में विश्व की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग IPL में डेब्यू करने वाले राशिद की तमन्ना कभी भी क्रिकेटर बनने की नहीं थी। मां चाहती थी कि बेटा डॉक्टर बने और बेटा भी हर कीमत पर मां के ख्वाब पूरे करना चाहता था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

युद्ध ने बचपन बर्बाद कर दिया
20 सितंबर 1998 को अफगानिस्तान के नानगरहार प्रांत में जन्मे राशिद का शुरुआती दौर खून-खराबे के बीच गुजरा। 2001 में अफगानिस्तान में छिड़े युद्ध ने राशिद से उनका बचपन छीन लिया। तालिबान और अमेरिका के बीच चल रहे भीषण संघर्ष के कारण राशिद को पाकिस्तान बॉर्डर के पास रिफ्यूजी कैंप में रहना पड़ा।

जब हालात सुधरे, तब राशिद अफगानिस्तान लौट सके। राशिद को क्रिकेट में शुरू से ही बैटिंग करना बहुत पसंद था। वह सचिन तेंदुलकर के फैन थे, तो जाहिर तौर पर उनकी तरह शॉट खेलना चाहते थे। पर दोस्तों ने कहा कि तुम बैटिंग से अच्छी बॉलिंग करते हो। दोस्त जिगर के टुकड़ थे। अब राशिद मियां भला उनकी बात कैसे टालते?

बचपन में कुछ ऐसे दिखते थे स्पिन के जादूगर राशिद खान।

कमरे से बाहर निकलने पर थी सख्त पाबंदी
युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में बीते 3 दशकों से जिंदगी बहुत सस्ती रही है। ऐसे में राशिद के माता-पिता ने उन्हें सख्ती से निर्देश दे रखा था कि चाहे कुछ भी हो जाए, तुम्हें घर से बाहर नहीं निकलना है। एक बार राशिद चोरी-छिपे क्रिकेट खेलने गए और फील्डिंग के दौरान उनका हाथ खून से लथपथ हो गया। घर पर भेद न खुल जाए, इस कारण राशिद ने 3 सप्ताह तक बगैर किसी को कानों-कान खबर होने दिए सारा दर्द चुपचाप सहा।

जब वर्षों तक अफगानिस्तान के हालात नहीं बदले तो राशिद परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए। पाकिस्तान में तब शाहिद अफरीदी का जुनून लोगों के सिर चढ़कर बोलता था। बूम-बूम अफरीदी जब बैटिंग पर आते थे तो लोग सिर्फ छक्कों की आस में टीवी स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रहते थे।

इसके अलावा शाहिद की तेज लेग स्पिन ने राशिद को बहुत प्रभावित किया। अपने भाइयों के साथ क्रिकेट खेलते हुए राशिद का मन भटकने लगा। राशिद फिर भी डॉक्टर ही बनना चाहते थे। अफगानिस्तान में हालात थोड़े से काबू में आने के बाद राशिद का परिवार अपने देश लौट आए। तब राशिद ने अपने देश में दोबारा पढ़ाई शुरू की।

मां से सबसे ज्यादा जुड़े थे राशिद, अंग्रेजी बोलने का भी लगा था चस्का
वह किसी भी कीमत पर अपनी मां का दिल नहीं तोड़ सकते थे। राशिद समूची कायनात में अपनी मां से सबसे ज्यादा मोहब्बत करते थे। राशिद की मां अक्सर बीमार रहा करती थीं। ऐसे में मां को लगता था कि अगर बेटा डॉक्टर बन जाएगा तो उसका इलाज ठीक से हो सकेगा।

एक बार अचानक राशिद पर अंग्रेजी बोलने का जुनून सवार हो गया। मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद उन्होंने 6 महीनों तक इंग्लिश की स्पेशल ट्यूशन ली। फिर खुद अंग्रेजी सीखने के बाद 6 महीने तक इंग्लिश की ट्यूशन भी पढ़ाई।

हालांकि, तब तक क्रिकेट रगों में जुनून बनकर दौड़ने लगा था, तो इस चक्कर में अंग्रेजी पीछे छूट गई। अंडर-19 क्रिकेट में परफॉर्मेंस खराब रही, तो बड़े भाई ने गुस्से से भरकर कहा कि तुम क्रिकेट छोड़ दो और वापस कोर्स की किताबें निकालकर पढ़ाई शुरू करो।

राशिद का दिल टूट गया। उन्होंने आंखों में आंसू भर कर अपनी मां को फोन किया और सब सच बता दिया। मां ने कहा कि अगर तुम कल भी सफल नहीं हो सके, तो भी क्रिकेट मत छोड़ना। इसके बाद राशिद ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, क्योंकि उनके सपने को मां का साथ मिल चुका था।

इंडियन फैंस के ग्रैंड वेलकम से हैरान थे राशिद
जब राशिद ने अपना पहला IPL मुकाबला खेला तो मानो उनके दोनों कान बंद हो गए थे। वह कुछ सुन नहीं पा रहे थे। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि जिस IPL को वह घर बैठकर देखा करते थे, आज उसका हिस्सा बन चुके हैं। राशिद खान जब पहली बार मुथैया मुरलीधरन से नेट पर मिले, तो उनकी गेंदबाजी देखकर मुथैया ने कहा कि तुम स्किल के मामले में मुझसे कहीं बेहतर हो।

बाद में अफगानिस्तान की टीम होम सीरीज खेलने देहरादून आई। वहां, राशिद खान को देखने भर के लिए 25 हजार लोग आए हुए थे। उनके मैदान पर उतरते ही पूरा स्टेडियम शोर से भर उठा। राशिद के मुताबिक, यह कुछ वैसा सम्मान था जो धोनी और विराट को मिलता है।

देहरादून में अफगानिस्तान की तरफ से आयरलैंड के खिलाफ मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार जीतने के बाद राशिद।

अफरीदी के बॉलिंग एक्शन का रहा असर, देश का बढ़ाया मान
अफरीदी के एक्शन को देखकर ही राशिद ने अपना बॉलिंग एक्शन चुना। राशिद खान की मेहनत रंग लाई और उन्हें 18 अक्टूबर 2015 को जिंबाब्वे के खिलाफ अफगानिस्तान के लिए वनडे डेब्यू करने का मौका दिया गया। फिर उसी साल 26 अक्टूबर को राशिद का टी-20 इंटरनेशनल डेब्यू हुआ।

newtraffictail
Author: newtraffictail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

FOLLOW US

Live Cricket

POll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

TRENDING NEWS

Advertisement

GOLD & SILVER PRICE

Rashifal