IPL 15 के मिड सीजन ट्रेंड्स आने शुरु हो गए हैं। इन्हें देखने के बाद एक दिलचस्प फैक्ट सामने आया है। दरअसल माजरा ये है कि अब तक हुए 32 मुकाबलों में जिस भी टीम ने टॉस जीता है, उसने पहले गेंदबाजी करने का निर्णय किया है। हालात ऐसे हो गए हैं कि जब कोई कप्तान टॉस जीतता है तो उसके बगैर कुछ कहे पब्लिक समझ जाती है कि आगे क्या होने वाला है। इसके पीछे ओस को मुख्य वजह कहा जा रहा है, लेकिन ये पूरा सच नहीं है। असली वजह है डेटा एनालिसिस।
सीजन 15 के पहले 10 मुकाबलों में टॉस हारकर केवल 3 टीमें ही मैच जीत सकीं। यहीं से टॉस जीतकर फील्डिंग को पत्थर की लकीर मान लिया गया। 11वें से 20वें मुकाबलों के दौरान 4 टीमों ने टॉस गंवाकर मुकबले जीते। 21वें से 30वें मुकाबलों के बीच में 6 टीमों ने टॉस हारकर टारगेट डिफेंड किया। इसके बावजूद टॉस जीतकर कोई भी टीम बल्लेबाजी नहीं कर रही। ऐसा इसलिए क्योंकि डेटा एनालिस्ट का मानना है कि टॉस जीतकर फील्डिंग चुनना जीत की गारंटी है।
हर टीम लाखों-करोड़ों की तनख्वाह देकर डेटा एनालिस्ट को हायर करती है, जो दिन-रात आंकड़ों में डूबे रहते हैं। पर अब उनका ओवरडोज हो रहा है।
टीम मीटिंग होती है, जहां आंकड़ों की बाजीगरी के आधार पर टॉस के बाद फील्डिंग करने का निर्णय सुना दिया जाता है। यही नहीं, किस बल्लेबाज के सामने कौन सा गेंदबाज लगाया जाएगा, इसका फैसला भी कोच या कप्तान नहीं बल्कि डेटा एनालिस्ट करता है। जब हम IPL 15 में जीत-हार के आंकड़ों पर जाते हैं तो पाते हैं कि 32 मुकाबलों में 18 बार बाद में बैटिंग करने वाली टीम और 14 बार पहले बैटिंग करने वाली टीम ने जीत दर्ज की है। अंतर कोई बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन टीमों ने जैसे कसम खा रखी है कि हम तो हर हाल में सिक्के की बाजी जीतते ही बॉलिंग करेंगे।
डेटा के चक्कर में राजस्थान को हो गया नुकसान
इस सीजन एक दिलचस्प घटना हुई, जो बताती है कि ज्यादा डेटा एनालिसिस कैसे टीम पर भारी पड़ सकता है? संजू सैमसन की कप्तानी में राजस्थान रॉयल्स की टीम ने पहले दोनों मुकाबलों में टॉस हारा लेकिन अपनी धारदार गेंदबाजी के दम पर मुकाबला जीता। तीसरे मैच में बेंगलुरु के सामने RR टॉस हारकर करीबी मुकाबले में 4 विकेट से मैच गंवा बैठी।
पर अगले ही मुकाबले में लखनऊ सुपर जायंट्स को रोमांचक मुकाबले में 3 रन से हराकर राजस्थान ने साबित किया कि उसके पास ऐसे गेंदबाजों की फौज है जो किसी भी टारगेट को डिफेंड कर सकती है। धारा के विपरीत जीतती राजस्थान को देखकर ये भ्रम टूटने लगा था कि पहले बॉलिंग करके ही जीत नसीब हो सकती है। इसके बाद शायद राजस्थान रॉयल्स के मैनेज को भी डेटा एनालिसिस का चस्का लग गया।
लगातार 4 टॉस हारने के बाद 5वां टॉस जीतकर संजू ने पहले बॉलिंग का निर्णय लिया था। यह देख हार्दिक पंड्या अपनी हंसी नहीं रोक सके थे|
कप्तान संजू सैमसन ने अपने पांचवें मैच में सीजन का पहला टॉस जीतकर गुजरात टाइटंस को बल्लेबाजी का न्योता दे दिया। इस दौरान संजू की मुस्कुराहट को देखकर ऐसा लग रहा था कि उन्होंने टॉस नहीं बल्कि मैच जीत लिया हो। पर यह दांव बुरी तरह उल्टा पड़ गया। अपने पिछले मुकाबले में धीमे अर्धशतक के कारण आलोचना झेल रहे हार्दिक ने बैटिंग विकेट पर पहले बल्लेबाजी करते हुए 52 गेंदों पर नाबाद 87 रन ठोक दिए।
राजस्थान रॉयल्स जिसने इस सीजन एक भी बार चेज नहीं किया था, उसकी बैटिंग बुरी तरह लड़खड़ा गई और टीम 37 रनों से मैच गंवा बैठी। इससे पता चलता है कि अगर RR ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने का निर्णय किया होता तो हालात दूसरे हो सकते थे। इसके बाद अगले मुकाबले में कोलकाता के खिलाफ राजस्थान ने टॉस जरूर गंवाया लेकिन 7 रन से मैच जीत गई।
डेटा एनालिस्ट की परिभाषा
डेटा एनालिस्ट उन प्रोफेशनल्स को कहा जाता है जिनके पास प्रोग्रामिंग, स्टैटिस्टिक्स, एप्लाइड मैथमैटिक्स और कंप्यूटर की बेहतरीन समझ होती है। इनके पास किसी भी तरह के डेटा को आम आदमी की तुलना में बेहतर तरीके से विजुलाइज करने की क्षमता होती है। इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ मैनेजमेंट डेटा एनालिस्ट को डेटा माइनर्स नाम से संबोधित करता है।
टीम इंडिया के मौजूदा डेटा एनालिस्ट हरि प्रसाद मोहन हैं। भारतीय क्रिकेट में डेटा एनालाइज करने की परंपरा जॉन राइट के दौर में शुरु हुई थी।
कॉरपोरेट जगत में इन्हें डेटा एनालिस्ट और डेटा साइंटिस्ट के नाम से भी जाना जाता है। डेटा एनालिस्ट विभिन्न सेक्टरों द्वारा दिए गए कॉम्प्लेक्स डेटा में से अहम जानकारियों को बारीकी से खंगालते हैं।
मैच के दिन पिच देखकर रणनीति बनाना है बेहतर
क्रिकेट में डेटा का यूज एक हद तक सही है, लेकिन इसका हद से ज्यादा इस्तेमाल नुकसान कर रहा है। डेटा के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि वह इतिहास के आधार पर वर्तमान का 100% आंकलन करने का दावा करता है, पर किसी मैच के दौरान पास्ट के आंकड़ों को उठाकर पिच की प्रेजेंट कंडीशन का एनालिसिस कोई एनालिस्ट नहीं कर सकता।
विकेट पर कितनी नमी है और क्या वह शुरुआत में तेज गेंदबाजों को मदद करेगी या नहीं, इसका फैसला मुकाबले से पहले पिच देखकर करना बेहतर होता है। हर मैच से पहले पिच क्यूरेटर विकेट पर काम करता है और वह कैसा बर्ताव करेगी, इसका अंदाजा विकेट को करीब से देखकर ही लगाया जा सकता है। पुराने रिकॉर्ड्स की भी भूमिका होती है, लेकिन उन पर अधिक निर्भरता कई बार भारी पड़ जाती है। अभी ऐसा लग रहा है कि मानो IPL में दौर चल पड़ा है, टॉस जीत गए तो बॉलिंग ही चुननी है। देखते हैं कि यह ट्रेंड आखिर कब टूटता है