मुंबई: महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से ओबीसी आरक्षण को लेकर बड़ा झटका लगा है। SC ने गुरुवार को महाराष्ट्र में जल्द होने वाले महानगर पालिका चुनाव में 27% ओबीसी आरक्षण लागू करने से मना कर दिया है। राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग से कहा कि वह महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर कोई कदम न उठाए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पिछड़ेपन पर यह रिपोर्ट बिना उचित अध्ययन के तैयार की गई है।
कोर्ट के इन निर्देशों के बाद महाराष्ट्र सरकार ने आगे के कदमों पर चर्चा करने के लिए दोपहर को कैबिनेट की बैठक बुलाई है। ओबीसी आरक्षण पर पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसे महाराष्ट्र सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसका सबसे बड़ा असर मुंबई में होने वाले बीएमसी चुनावों में देखने को मिलेगा।
मीटिंग में इस बात पर चर्चा हो रही है कि अदालत के इस फैसले के बाद सरकार का क्या रुख होना चाहिए।
मीटिंग में इस बात पर चर्चा हो रही है कि अदालत के इस फैसले के बाद सरकार का क्या रुख होना चाहिए।
जानें क्या है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविलकर,जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी के आरक्षण पर रोक लगाई थी। इस मसले पर महाराष्ट्र सरकार की एक अर्जी पर 19 जनवरी को हुई सुनवाई में कोर्ट ने आरक्षण के मसले पर गेंद राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पाले में डाल दी थी। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह ओबीसी का डाटा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पास जमा करें,ताकि आयोग इसकी जांच कर सके और स्थानीय निकाय के चुनावों में उनकी प्रस्तुति के लिए सिफारिशें दे सके। इस पर राज्य सरकार ने 8 फरवरी को एसबीसीसी की ओर से तैयार अंतरिम रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी थी। इसी पर अदालत ने अपना फैसला सुनाया है।
फडणवीस ने सरकार पर साधा निशाना
अदालत के इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाविकास आघाडी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार ने तुरंत मार्ग निकालना चाहिए, सरकार ने केवल समय बर्बाद करने का काम किया है, ओबीसी आरक्षण के सिवा स्थनीय निकायों के चुनाव हमें मान्य नहीं होंगे।