भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ (CJI) के स्थान पर न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने मॉरीशस में आयोजित “सर मॉरिस लॉर्ड्स मेमोरियल लेक्चर 2025” के उद्घाटन सत्र में कहा कि भारत का लोकतंत्र “कानून के शासन” पर आधारित है, “बुलडोजर के शासन” पर नहीं।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का दायित्व है कि वह कानून की प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करे और कार्यपालिका को न्यायाधीश, ज्यूरी और जल्लाद — तीनों भूमिकाएं निभाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने सर्वोच्च न्यायालय के अपने ही फैसले का हवाला देते हुए कहा कि “बुलडोजर न्याय” लोकतंत्र के लिए खतरनाक है और यह अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत की न्यायिक व्यवस्था की शक्ति इसी में है कि वह कानून के शासन को सर्वोपरि मानती है, न कि राजनीतिक या प्रशासनिक दबावों को।






