लाउडस्पीकर को लेकर राज्य सरकार को अल्टीमेटम देने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) चीफ राज ठाकरे की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। रविवार को औरंगाबाद में हुई मनसे की रैली में नियमों के उल्लंघन के आरोप में राज ठाकरे और इसके आयोजकों के खिलाफ औरंगाबाद के सिटी पुलिस स्टेशन में केस दर्ज हुआ है। रैली के दौरान राज ठाकरे पर 16 में से 12 नियमों को तोड़ने का आरोप है। जिसमें भड़काऊ भाषण देने और तयसंख्या से ज्यादा लोगों को बुलाने का आरोप है।
पुलिस के मुताबिक, सिर्फ 15 हजार लोगों को सभा में मौजूद रहने की अनुमति पुलिस की ओर से दी गई थी, लेकिन एक लाख की क्षमता वाला सांस्कृतिक ग्राउंड खचाखच भरा हुआ था। राज के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (A)(भड़काऊ भाषण देने) के तहत केस दर्ज किया गया है। इस धारा के तहत तीन साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। यदि यह अपराध किसी पूजा स्थल पर किया जाता है, तो पांच साल तक की सजा और जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
सांगली की अदालत से जारी हुआ गैर-जमानती वारंट
इससे पहले सांगली जिले की शिराला कोर्ट ने मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। यह वारंट पिछले महीने जारी किया गया था। इसकी जानकारी मंगलवार को सार्वजनिक हुई है। हालांकि, मुंबई पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन औरंगाबाद में हुई रैली के बाद पुलिस एक्टिव हुई है।
राज ठाकरे के खिलाफ वर्ष 2008 में भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 117, 143 और मुंबई पुलिस अधिनियम की 135 के तहत मामला दर्ज किया गया था। सांगली के मनसे कार्यकर्ता तानाजी सावंत ने मराठी भाषा और मराठी में दुकानों के बोर्ड के मुद्दे पर आंदोलन किया था। इस दौरान कुछ दुकानों को बंद करने का जबरन प्रयास किया गया। बाद में तानाजी सावंत और पार्टी प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
कई बार समन के बावजूद एक भी बार पेश नहीं हुए राज
यह केस 2008 से चल रहा है और कई बार समन के बावजूद राज ठाकरे अदालत में पेश नहीं हुए है। जिसके बाद पुलिस के आग्रह पर अदालत ने यह गैर जमानती वारंट जारी किया है। सांगली कोर्ट ने सीधे तौर पर मुंबई पुलिस कमिश्नर को राज ठाकरे को सांगली कोर्ट में गिरफ्तार कर पेश करने का निर्देश दिया है। अब देखना होगा कि मुंबई पुलिस और राज ठाकरे की पार्टी का इस मामले में क्या रुख होता है।
इस मामले में राज के खिलाफ जारी हुआ है वारंट
रेलवे भर्ती में स्थानीय भूमिपुत्रों (मराठी लोगों) को प्राथमिकता देने की मांग को लेकर एक आंदोलन के बाद कल्याण अदालत के आदेश पर राज ठाकरे को 2008 में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद शिराला तालुका के शेडगेवाड़ी गांव में मनसे कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी के विरोध में प्रोटेस्ट किया और दुकानदारों को अपनी दुकानें बंद करने के लिए मजबूर किया। इस दौरान तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
इसके बाद शिराला थाने में राज समेत 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इस मामले में शिराला फर्स्ट क्लास कोर्ट में राज ठाकरे के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। 2008 के इस मामले में राज एक भी बार अदालत में पेश नहीं हुए, जिसके बाद अब यह कार्रवाई अदालत की ओर से की गई है।